R Praggnanandhaa : कौन हैं आर प्रगाननंदा ? जिसने मैग्नस कार्लसन को हराया; पिता पोलियो ग्रस्त, बहन से सीखा शतरंज; 12 की उम्र में तोड़ा था विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड

R Praggnanandhaa : भारत के युवा ग्रैंडमास्टर के रूप में उभरे आर प्रगाननंदा का नाम आज हर किसी की जुबान पर है. चाहे प्रगाननंदा की उम्र कम है लेकिन वे किसी भी मामले में अपने खेल में किसी से भी पीछे नहीं हैं. यही वजह है कि महज 16 साल की उम्र में ही आर प्रगाननंदा ने मैग्नस कार्लसन को शतरंज के खेल में मात देकर खुद के लिए एक नया मुकाम बनाया है. प्रगाननंदा ने ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के 8वें दौर में मैगनस कार्लसन को मात दी. कार्लसन को दुनिया का नंबर वन शतरंज खिलाडी कहा जाता है.

आज के इस आर्टिकल में हम आर प्रगाननंदा कौन हैं ?  आर प्रगाननंदा का करियर आदि के बारे में बात करने वाले हैं. तो चलिए जानते हैं प्रगाननंदा की लाइफ को करीब से और बात करते हैं आर प्रगाननंदा की जीवनी के बारे में.

R Praggnanandhaa Journey To Become Indian Chess Grandmaster At 18। आर  प्रज्ञानानंद
आर प्रगाननंदा और कार्लसन – फोटो : सोशल मीडिया

कौन हैं आर प्रगाननंदा ? 

आर प्रगाननंदा भारत के युवा ग्रैंडमास्टर हैं. वे अपने खेल से ना केवल बड़े-बड़े गेम्स ही नहीं बल्कि लाखों दिलों को भी जीत चुके हैं. कुछ टाइम पहले ही प्रगाननंदा का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें वे रूस के वर्ल्ड चैंपियन गैरी कासप्रोव के साथ मैच खेलते दिखाई दिए थे. इस मैच में प्रगाननंदा ने अपने दिमाग से सबको चौंका दिया था और आखिर में यह मैच ड्रा हुआ था. 13 साल की उम्र में ही प्रगाननंदा चेस के ग्रैंड मास्टर बने थे.

आर प्रगाननंदा का जन्म 

चेस की दुनिया में अपना नाम बनाने वाले आर आर प्रगाननंदा का जन्म 10 अगस्त 2005 में हुआ था. चेन्नई में जन्मे आर प्रगाननंदा की उम्र 19 साल  है. शतरंज के खेल की तरफ प्रगाननंदा का प्रभावित होना उनकी बहन के शौक के चलते शुरू हुआ था.

कार्टून से दूर रखना चाहती थी बहन

आर प्रगाननंदा और उनकी बहन – फोटो : सोशल मीडिया

महज 3 साल की उम्र में ही प्रगाननंदा ने शतरंज सीखना शुरू कर दिया था. वे इस समय से ही इस खेल के गुर सीखने लग गए थे. जबकि उनकी बहन जिनका नाम वैशाली है, के इस खेल को सीखने के पीछे दूसरी वजह थी. दरअसल घरवाले चाहते थे कि वैशाली टीवी पर कम कार्टून देखे इसलिए उन्हें यह खेल सीखाया गया था.

पिता पोलियो जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित थे

आर प्रगाननंदा के पिता का नाम रमेशबाबू और माँ का नाम नागलक्ष्मी है. उनके पिता पोलियो जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं और वे हमेशा से यह देखने थे कि उनकी बेटी का ध्यान कार्टून देखने की तरफ अधिक है. इसलिए उन्होंने वैशाली का ध्यान शतरंज की तरफ मोड़ा. लेकिन इस वक्त वे यह नहीं जानते थे कि बहन को देखने के बाद प्रगाननंदा भी चेस सीखना शुरू कर देंगे.

इस बारे में प्रगाननंदा के पिता कहते हैं कि जब उनकी बेटी के बाद उनके बेटे ने भी शतरंज खेलना शुरू कर दिया तो उन्हें इस बात से काफी ख़ुशी हुई थी. दोनों माता-पिता इस बात से बेहद खुश थे कि उनके दोनों बच्चे इस खेल को काफी ध्यान से खेलते हैं.

प्रगाननंदा भारत के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने थे

साल 2016 के दौरान जब प्रगाननंदा की उम्र महज 10 साल थी वे इंटरनेशनल मास्टर बन चुके थे. साल 2018 के दौरान प्रगाननंदा ने ग्रैंडमास्टर खिताब जीता था. इस ख़िताब के साथ ही आर प्रगाननंदा भारत के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने थे. यही नहीं प्रगाननंदा इसके साथ ही उस समय वर्ल्ड के दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी भी बने थे. इसके साथ ही ग्रैंडमास्टर सूची में प्रगाननंदा का पांचवा स्थान है.

विश्वनाथन आंनद बने प्रगाननंदा के मार्गदर्शक

इस खेल के लिए प्रगाननंदा के मार्गदर्शक भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आंनद बने थे. ग्रैंडमास्टर का ख़िताब हासिल करने के बाद भी आर प्रगाननंदा ने कई प्रतियोगिताओं को अपने नाम किया लेकिन देश में लम्बे समय के कोरोना काल के चलते उनके टूर्नामेंट रुकने लगे.

तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने प्रगाननंदा

लम्बे समय के बाद आर प्रगाननंदा ने ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स (Online Rapid Chess Tournament : AirThings Masters) के 8वें दौर में विश्व के नंबर वन खिलाड़ी मैगनस कार्लसन को हराया.आर प्रगाननंदा को भारत में शतरंज का भविष्य बताया जाने लगा है. कार्लसन को हराने के साथ ही प्रगाननंदा ने अपने करियर की सबसे बड़ी जीत को अपने नाम किया है. इंडिया से विश्वनाथन आनंद  और पी हरिकृष्णा  के बाद आर प्रगाननंदा ऐसे तीसरे खिलाड़ी हैं जिन्होंने मैगनस कार्लसन को मात दी है.

माँ ने दिया हमेशा भरपूर साथ

आर प्रगाननंदा और उनकी माँ – फोटो : सोशल मीडिया

जब प्रगाननंदा ने इस गेम को बड़े लेवल्स पर खेलना शुरू किया तो उनकी माँ नागलक्ष्मी भी दोनों बच्चो के साथ जाती हैं. यही नहीं जब वे साथ में नहीं जाती हैं तो घर पर रहकर उनके खेल को देखती हैं. उनके पिता कहते हैं कि प्रगाननंदा की माँ हमेशा दोनों बच्चो के खेल का पूरा समर्थन करती हैं. वैशाली के बारे में बता दें कि वे 19 साल की है और वे एक महिला ग्रैंडमास्टर बन चुकी हैं.

प्रग्गनानंद का शैक्षणिक करियर

आर प्रग्गनानंद का शैक्षणिक करियर आर प्रग्गनानंद ने अपनी 12वीं वेलाम्मल मेन कैंपस से की है। प्रग्गनानंद हाल ही में 18 साल के हो गए हैं। प्रग्गनानंद के पिता के मुताबिक, वह पढ़ाई में अच्छे हैं, लेकिन उनका मुख्य ध्यान शतरंज पर रहता है।

प्रग्गनानंद के कोच कौन है?

आर.बी. रमेश प्रग्गनानंद के कोच हैं। प्रग्गनानंद रमेश द्वारा आयोजित साप्ताहिक शतरंज कैंप में भी भाग लेते हैं। अपने शतरंज कौशल को बढ़ाने के लिए, प्रग्गनानंद ऑनलाइन शतरंज टूर्नामेंट देखते हैं। प्रग्गनानंद दुनिया के प्रमुख शतरंज खिलाड़ियों के मैच देखते हैं और इन मैचों से सीखते हैं।

प्रगनाननंदा को पसंद है क्रिकेट

प्रगनाननंदा शतरंज के अलावा क्रिकेट का भी शौक रखते हैं। मौका मिलने पर वो क्रिकेट मैच खेलने भी जाते हैं। हालांकि, शतरंज में करियर बनाने के चलते उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर कोई उपलब्धि नहीं हासिल की है, लेकिन उन्हें क्रिकेट खेलने और मैच देखने का शौक है।

आर प्रग्गनानंद का शतरंज में करियर

आर प्रगाननंदा – फोटो : सोशल मीडिया
  • तरंज विश्व कप 2023 फाइनल: रमेशबाबू प्रग्गनानंद गुरुवार को शतरंज विश्व कप के फाइनल में मैग्नस कार्लसन से टाईब्रेकर मैच में हार गए। मंगलवार और बुधवार को दो शास्त्रीय खेल ड्रॉ पर समाप्त हुए थे, जिससे फाइनल टाई-ब्रेक में बदल गया था। दुनिया के नंबर 1 खिलाड़ी ने पहले टाई-ब्रेक मैच में प्रगनानंदा को 1.5-0.5 से हराया और फिर 22 चालों में दूसरा गेम ड्रॉ कराया।
  • लंदन शतरंज क्लासिक फिडे ओपन: प्रागनानंद ने एंटोन स्मिरनोव के साथ 2019 प्रतियोगिता जीती, दोनों ने 7.5/9 का स्कोर किया। प्रग्गनानंद के साथी “चेस गुरुकुल” के छात्र अरविंद चित्रंबरम इस आयोजन में तीसरे स्थान पर रहे, जबकि एक अन्य भारतीय सहज ग्रोवर और प्रग्गनानंद की बहन आर. वैशाली दोनों सम्मानजनक 6.5/9 पर समाप्त हुए।
  • दिसंबर 2019: प्रगनानंद 14 साल और 3 महीने की उम्र में लंदन क्लासिक शतरंज प्रतियोगिता में 2600 अंक हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर बन गए, उन्होंने अपने दोस्त और साथी भारतीय निहाल सरीन को पीछे छोड़ दिया, जो 14 साल 10 महीने की उम्र में 2600 अंक हासिल करने वाले पिछले सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर थे।
  • अक्टूबर 2019: प्रग्गनानंद ने अंडर-18 वर्ग में 9/11 के स्कोर के साथ मुंबई में आयोजित विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीती। उस समय वह केवल 14 वर्ष के थे और उन्होंने उच्च आयु वर्ग में प्रतिस्पर्धा करना चुना था।
  • अगस्त 2019: अबू धाबी ब्लिट्ज में प्रग्गनानंद ने तीसरा स्थान हासिल किया।
  • जुलाई 2019: प्रग्गनानंद ने डेनमार्क में एक्स्ट्राकॉन शतरंज ओपन जीता, जिसमें उच्च रैंक वाले खिलाड़ी जैसे- निल्स ग्रैंडेलियस, गेब्रियल सर्गिसियन, एंटोन कोरोबोव शामिल थे। उन्हें टूर्नामेंट से 28.5 रेटिंग अंक मिले।
  • मई 2019: वह फ्रेंच लीग में कान्स टीम के लिए खेले।
  • मार्च 2019: प्राग चैलेंजर्स 2019 में प्रतिस्पर्धा हुई जहां उन्होंने प्रसिद्ध रूसी ग्रैंड मास्टर एलेक्सी शिरोव को हराया।
  • जनवरी 2019: टाटा स्टील चैलेंजर्स 2019 में प्रतिस्पर्धा हुई।
  • दिसंबर 2018: प्रग्गनानंद ने द सनवे सिटजेस इंटरनेशनल शतरंज चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा की, उन्होंने 3 जीत और 7 ड्रॉ के साथ 6.5/10 का स्कोर किया और अपराजित रहे। उनकी बहन वैशाली ने सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी का पुरस्कार जीता।
  • नवंबर 2018: टाटा स्टील शतरंज इंडिया 2018 ब्लिट्ज टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा की, जहां वे पहली बार महान विशी आनंद के खिलाफ खेला।
  • अक्टूबर 2018: आइल ऑफ मैन इंटरनेशनल में खेला गया जहां उन्होंने जीएम पावेल एल्जानोव को हराया जिनकी रेटिंग 2703 थी।
  • 2018: लियोन मास्टर्स में 4 रैपिड गेम्स में 2.5-1.5. से पहले में ग्रैंड मास्टर वेस्ले बारबासा सो (यूएसए के, जिनके करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंक 2 और पीक रेटिंग 2822 है) को हराया, एक और गेम ड्रा करने में कामयाब रहे, जबकि 4 करीबी मुकाबले में हार गए।
  • सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर: प्रगनानंद 2018 में ग्रैंडमास्टर (जीएम) खिताब हासिल करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए, अब वह सर्गेई कारजाकिन, डोम्माराजू गुकेश और जावोखिर सिंदारोव के बाद चौथे सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। उन्होंने उर्टिजी में ग्रेडाइन ओपन में अपना तीसरा जीएम मानदंड हासिल किया, जहां उन्होंने लुका मोरोनी को हराया। उस समय उनकी उम्र 12 साल, 10 महीने और 13 दिन थी।
  • अगस्त 2017 में प्रग्गनानंद ने 2500 अंक पार कर लिए और ऐसा करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। पहला जीएम मानक हासिल किया।
  • 2016: खेल के इतिहास में सबसे कम उम्र के अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बने।
  • 2015: 2015 में उन्होंने अंडर-10 वर्ग में यूथ शतरंज चैंपियनशिप जीती।
  • विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप: 2013 में प्रगनानंद ने अंडर-8 लड़कों के लिए विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप का खिताब जीता।

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